Woh Gairo Ke Hona Seekh Gaye Lyrics : Jai Ojha Poetry In Hindi

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Woh Gairo Ke Hona Seekh Gaye Lyrics : Jai Ojha Poetry In Hindi

Jai Ojha , की Poems में एक गज़ब की बात होती है , जो हमारे दिल को Touch कर जाती है ! jai Ojha की Poems में अधिकतर Breakup Shayri , Poems होती हैं , जिन्हें हमने पहले भी आप लोगों से Share किया है , और आज हम आपके साथ Share कर रहे है :-

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वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए लिरिक्स : जय ओझा 

समय के साथ वक्‍त के साथ किस तरह से लोग बदल जाते है उस पर यह शायरी है।

कि वो प्‍यार मोहब्‍बत के अकीदतमंद बड़ी जल्‍दी नफरत करना सीख गए।

वो प्‍यार मोहब्‍बत के अकीदतमंद बड़ी जल्‍दी नफरत करना सीख गए।

हम तो उनके थे उन्‍हीं के रहे वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

तो हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो अजनबी इस कदर हो जायेंगे,

नजर आते थे जो फोन के हर गलियारें में अब एक Folder में सिमट कर रह जायेंगे।

हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो इस रिश्‍ते को इतनी बेरहमी से तोड़ जायेंगे,

कि हमें सबसे पहले जवाब देने वाले हमारा message seen करके छोड़ जायेंगे।

हम शहरों शाम मुन्‍तजिर रहे उनके messages जवाबों के और,

वो किसी दूसरी महफिले chat में reply करना सीख गए।

जब बड़े दिनों बाद हम से पूछा हाले दिल उन्‍होंने,

तो भईया हम भी खुद्दार थे मुस्‍कुराके झूठ बोलना सीख गए।

हम तो उनके थे उन्‍हीं के रहे वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

हम नावाकिफ थे इस बात से कि लोग बदल भी जाया करते है वो आंखो में आंखे डाल,

किए वादों से मुकर भी जाया करते हैं अरे सदायें (आवाजे) आती थी जिनकों हमारे सीनें से,

वो अब किसी और से लिपटना सीख गए,

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

कि सदायें आती थी जिनकों हमारे सीने से,

वो अब किसी और से लिपटना सीख गए,

और दिल में आशियां बनाया था जिन्‍होंने अब गुजरते है,

अब सामने से नजरे चुराके चलना सीख गए।

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो चेहरे को साफ और दिल को मैला रखते हैं,

कुछ लोग हसी ऐसे भी होते है जो खिलौनों से नहीं ज़ज्‍बातों से खेला करते है।

अरे, हम आशिक नादान थे कि ताजिन्‍दगी भीतर-बाहर एक से रहे,

और वो कम्‍बख्‍त बेवफाई करते करते रोजाना जिल्‍द बदलना सीख गए।

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे वो पर न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

हमने उनके साथ अर्श (आकाश) के सपने देखे थे और,

जब हुए हकीकत से रूबरू तो खाई से उछलना सीख गए।

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे वो  न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

हम नावाकिफ थे इस बात से  कभी वक्‍त हमारे इतना खिलाफ हो जायेगा,

कि उनकी मेहन्‍दी में चुपके से बनाया वो जे अक्षर इस कदर साफ हो जायेगा।

हम उनके नाम का हर्फ हथेली पे नहीं दिल पे लिखना चाहते थे,

इसलिए दर्द होता रहा हर्फ बनता रहा और हम दिल कुरेदना सीख गए।

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे वो  न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

दर्द होता रहा हर्फ बनता रहा और हम दिल कुरेदना सीख गए।

हम उनपे मरकर जीना चाहते थे हुए अलहदा (दूर हो जाना) उनसे जब से जीते जी मरना सीख गए।

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे वो  न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

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Ye Kuch Batein Hai Jo Bekar Hai : Jai Ojha Lyrics In Hindi

हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो हमारे बिना भी रह सकते थे,

जो फंसाने उन्‍होंने हम से कहे थे अब वो किसी और से भी कह सकते थे,

अरे हमने तो सोना समझ यूं पकड़े रखा था उनको और वो कमबख्‍त धूल थे निकले थे,

कि बड़े इतमिनान से फिसलना सीख गए।

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे वो  न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

हमने तो सोना समझ यूं पकड़े रखा था उनको और वो कमबख्‍त धूल थे निकले थे,

कि बड़े इतमिनान से फिसलना सीख गए।

हम कुछ देर जो दूर हुए क्‍या उनसे वो हमारे बिना ही रहना सीख गए।

हम उनके थे उन्‍हीं के रहे वो  न जाने कब गैरों के होना सीख गए।

Humto Unke The Unhi Ke Rhe Wo Na Jane Kab Gairo Ke Hona Seekh Gaye

“इसरते कतरा है दरियां में फना हो जाना,

दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना।”

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