Shyama Prasad Mukherjee Biography In Hindi : श्यामा प्रसाद मुख़र्जी – जीवन परिचय

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Shyama Prasad Mukherjee Biography In Hindi : श्यामा प्रसाद मुख़र्जी – जीवन परिचय : कुछ लोग छोटी -छोटी लहरे उत्पन्न करते है ,और कुछ ऐसा प्रभाव छोड़ते है जो विदयमान दलदल मे एक सम्पूर्ण रूपान्तरण प्रस्तुत कर देता है |आज हम आपके बीच Shyama Prasad Mukherjee की Biography In Hindi जीवनी लेकर आये हैं आशा है आपको यह पसंद आएगी |जन -चेतना इतनी परिपक्व हुई की बंगाली लोगो के जीवन पर उसका गहरा असर पड़ा |साथ ही साथ विलक्षण व्यक्तियों का एक मंडल भी मंच पर उभरा जो राष्ट्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के दायित्व को उठाने को तत्पर था |

बंगाल की मनीषियों ने अपनी समस्याओ को नए द्रष्टिकोण से देखा और वर्षो पुरानी धारणाओ व रीतियो पर आपत्ति उठाने के लिए एक जन -आंदोलन शुरू किया |सामाजिक समस्याओ तथा शैक्षिक जरूरतों पर प्रगतिशील तरीके से विचार करना आवश्यक है |

श्यामा प्रसाद के पिता आशुतोष मुखर्जी इसी दौर के थे |पुनर्जागरण का नया दर्शन ,उसकी व्यापक मानवीयता तथा प्रगतिशील विचारधारा उन्हे उत्तराधिकारी मे मिली थी |वे भी इस युग के उत्तेजक घटनाचक्र का भी परिणाम था |

आशुतोष मुखर्जी पर भारतवासियों के प्रति अंग्रेजी के पक्षपातपूर्ण व्यवहार का गहरा प्रभाव पड़ा इससे उन्हे विश्वास हो गया था |कि भारतवासियों कि बोद्धिक भावना का उपचार आम लोगो मे उच्च शिक्षा के तेजी से प्रचार से ही संभव था |जिस परिवार एवं सामाजिक वातावरण मे श्यामा प्रसाद का जन्म हुआ था |वह उनके चरित्र सही उद्देश्य के लिए काम ,काम करने के द्रढ़ संकल्प तथा मात्रभूमि के लिए अनेक असंख्य बलिदानो को स्पष्ट करता है |

श्यामा प्रसाद मुख़र्जी – जीवन परिचय

6 जुलाई ,1901 को कोलकाता मे जन्म लेने वाले श्यामा प्रसाद को अपने विख्यात पिता आशुतोष मुखर्जी से विदवत्ता ,जोसीला राष्ट्रवाद तथा साहस विरासत मे मिले |इनकी माता ,जगत्तारिणी देवी ,एक सीधी -साधी महिला थी |जो अपने पति ,परिवार एवं धर्म को समर्पित थी |

उस समय कि उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा और ब्राह्मण होने के कारण भवानीपुर के मुखर्जी परिवार के लोग माँ दुर्गा की पूजा के अपने उत्सव के लिए उतने ही प्रसिद्ध थे जितने अपनी संस्क्रति तथा विदवत्ता के लिए मुखर्जी निवास पूरे कोलकाता शहर मे ज्ञान के मंदिर के रूप मे जानी जाती है |आशुतोष मुखर्जी को किताबों से बहुत लगाव था उन्होने नाना विषयो की किताबों से अपना  घर भर रखा था |हम कमरे हर बरामदे मे किताबों की कतारे थी |

श्यामा प्रसाद का लालन -पालन इस सबके बीच हुआ और उन्होने अपने परिवार के धार्मिक तथा अध्ययनात्मकसंस्कारो को बड़े आदर से ग्रहण किया |वे पूजा के अनुष्ठान मे बहुत रुचि लेते थे और पिता के निर्देशानुसार पारंपरिक संस्कार ,रीति -रिवाज तथा अनुशासन भी सीखते है |जिस वातावरण मे श्यामा प्रसाद बड़े हुए उसने उनके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा भारत की वर्षो पुरानी संस्क्रति की महानता का आभास प्राप्त करने के साथ ही उन्होने पाश्चात्य विचारधारा की बौद्धिक ज्ञान से व्याख्या की और उसके भीम प्रसंशक बन गए |आशुतोष मुखर्जी के चार पुत्र थे -रामा प्रसाद ,श्यामा प्रसाद ,उमा प्रसादतथा वामा प्रसाद थे |वे अपने पिता की स्नेहमयी देख -रेख मे पले बढ़े पर इस देख – रेख मे ब्रम्हचार्य की प्राचीन पद्धति की तरह कड़ा अनुशासन तथा संयम का भी समावेश था |

बचपन मे श्यामा प्रसाद कोलकाता के जाने -माने मित्र संस्थान मे पढ़ते थे |मैट्रिक की परीक्षा पास करने पर उन्हे छात्रव्रत्ति तथा 1917 मे प्रेसीडेंसी कॉलेज मे भी दाखिला मिला |एम .ए. की पढ़ाई करते हुए श्यामा प्रसाद का सुधा देवी से विवाह हो गया |यह अप्रैल 1922 की बात है|1923 मे आशुतोष मुखर्जी का देहांत हो गया |इस घटना से श्यामा प्रसाद को बहुत कष्ट हुआ |उनकी पत्नी ने चार बच्चो को जन्म दिया दो पुत्र तथा दो पुत्रिया थी |1934 मे श्यामा प्रसाद की पत्नी का स्वर्गवास हो गया |परिवार के सदस्यो तथा मित्रो ने उनसे पुनर्विवाह करने का आंग्रह किया परंतु श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके विपरीत फैसला लेते हुए उन्होने शेष जीवन राष्ट्र की सेवा मे समर्पित कर दिया |2 सितम्बर 1902 को0 उन्होने पहली बार लंदन मे प्रोफ़ेसर पर्सिवाल को पत्रिका मे लेख भेजने के लिए लिखा |अपने पत्र मे उन्होने लिखा -अपने ह्रदय की गहराई से मुझे आशीर्वाद दीजिये कि मे एक पवित्र एवं पौरूष भरा जीवन बिताऊँ |

1922 मे उन्होने जंग वाणी नामक एक बंगला का अखबार निकालना शुरू किया|1923 -24 के दौरान डिय उपनाम से वे कैपिटेल के लिए भी एक नियमित फीचर लिखते रहे |इस पत्र के संपादक पैट लोवेल थे |

वे बंगाल विधान परिषद के लिए विश्वविद्यालय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप     मे चुने गए थे |उनके शौक्षिक कामो से इसका निकट संबंध था उन्हे आशा थी की वे विधान परिषद मे कोलकाता विश्वविद्यालय के हितो की रक्षा का काम करेगे

संसदीय जीवन मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जो अनुभव प्राप्त किए और मुस्लिम लीग तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की संचालन पद्धति के विषय मे जो अंतद्रष्टि प्राप्त हुई |वह उन्हे अपने राजनौतिक जीवन की योजना बनाने की सूझबूझ मे बहुत काम आई |

1937 मे प्रथम बार सांप्रदायिक पंचाट के आधार पर बंगाल विधायिका का गठन हुआ |श्यामा प्रसाद मुखर्जी पुन: विश्वविद्यालय क्षेत्र से इसके लिए निर्वाचित हुए |इस चुनाव मे कांग्रेस को साठ स्थान मिले तथा स्वतंत्र हिन्दुओ को सैतीस शेष स्थान मुस्लिम नेताओ तथा अंग्रजों को प्राप्त हुए |एक राष्ट्र्वादी मुस्लिम नेता फजलूल -हक के नेत्रत्व वाली  कृषक प्रजा पार्टी कांग्रेस से गठबंधन करने की इच्छुक थी |श्यामा प्रसाद मुखर्जी को द्रढ़ विश्वास था कि कांग्रेस यदि क्रषक प्रजा पार्टी से गठबंधन कर ले तो बंगाल को एक स्थायी गैर -मुस्लिम लीग सरकार मिल सकती है |स्थानीय कांग्रेस भी इस विचार से सहमत है |

1942 मे जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल मंत्रिमंडल मे शामिल हुए तभी गांधी जी ने भारत छोड़ो का बिगुल बजाया |और अंग्रेज़ सरकार ने भारत मे आतंक का साम्राज्य फैला  दिया | जापानी सेना के वर्मा मे आगे बढ़ने तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्ररेक नेत्रत्व मे आजाद हिन्द फौज की गतिविधियो ने स्थिति को नए आयाम दे दिये |

राजनैतिक तथा सैनिक स्थितिया बिगड़ गई |भारत के पूर्वी क्षेत्र मे अंग्रेज़ो ने घर -फूँक नीति अपनानी पड़ी |इस नीति के अनुसार रणक्षेत्र से लौटते हुए समस्त साधना तथा समान को नष्ट कर दिया जाता है |अंग्रेज़ शासको की घर -फूँक नीति के कारण तथा पूर्वी बंगाल की नदियो से नौकाओ का एकमात्र यातायात का साधन हटा दिया गया है |इससे खाद्यान की आपूर्ति बंद हो गयी और बड़ी मात्रा मे अनाज नष्ट हो गया |मानवतावादी श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 1943 के इस मानव जनित अकाल से बहुत आघात पहुँचा |जेबी उन्होने लोगो को अवर्णनीय दुख झेलते हुए और भुखमरी से उन्हे मरते देखा तो वे मूकद्रष्टा बने न रह सके |

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बड़े स्तर पर राहत कार्य शुरू किया |और भारतवासियों से आगे बढ़कर हाथ बटाने की अपील की |पूरे देश ने उनके आह्वान का शानदार उत्तर दिया |अकेले बंगाल राहत समिति को 2755000 रुपये की धनराशि तथा लगभग दस लाख रुपये मूल्य का सामान जैसे -कपड़े ,अनाज इत्यादि दान मे मिले |हिन्दू महासभा को साढ़े आठ लाख रुपये तथा हजारो मन खाद्यान का दमन प्राप्त हुआ |

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल मे विविध राहत केन्द्रो मे जाकर पीढ़ित लोगो मे भोजन कपड़ो तथा दवाओ को बाँटने के यथासंभव उत्तम प्रबंध करवाए |उनके अथक प्रयासो से लाखो लो0ग म्रत्यु के मुँह से बच गए |जैसे ही अकाल की छाया दूर हटी एक उससे भी अधिक गहरी छाया देश पर आ पड़ी |यह छाया थी संप्रदाय के आधार पर भारत के4 विभाजन की |सदा से अंग्रेज़ो से प्रोत्साहन प्राप्त कर रही मुस्लिम लीग ने अपने लिए अलग देश की मांग रखी |अंग्रेज़ो के भारत को सदा के लिए छोड़ने से पहले मुस्लिम लीग ने पाया कि भारतीय कांग्रेस उन्हे संतुष्ट करना चाहती है |तब उसने अपने हिस्से के रूप मे पाकिस्तान बनाए जाने की मांग है |श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत विभाजन के विरूद्ध देशव्यापी अभियान चलाया |परंतु यह महान देशभक्त उस समय असहाय खड़ा रहा गया जब ब्रिटिश कैबिनेट मिशन (मार्च 1946 ) के सामने देश के विभाजन के विरोध मे वे बहस कर रहे थे कि तभी उनके सामने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति का वह प्रस्ताव रख दिया गया जिसमे लिखा हुआ था कि कांग्रेस स्वेच्छा से भारत मे सम्मिलित न होने वाले किसी प्रांत को बलपूर्वक भारत मे जुड़े रहने को नही कहेगी |

उनके लिए यह अप्रत्याशित आघात था |श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 के चुनावो मे कांग्रेस का समर्थन किया था क्योकि सरदार बल्लभ भाई पटेल ने उन्हे आश्वासन दिया था कि कांग्रेस देश का विभाजन कभी स्वीकार नही करेगी तब तक उन्हे पता नही था कि कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने मुसलमान बहुमत वाले राज्यो को देश से अलग करना स्वीकार कर लिया था |

15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश ध्वज यूनियन जैक केंद्रीय सचिवालय से उतारा गया था |भारत के राष्ट्रीय ध्वज ने गर्व से उसका स्थान ग्रहण किया गांधी जी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को प्रथम राष्ट्रीय सरकार मे सामिल होने का निमंत्रण दिया |उन्होने इस आशा से यह स्वीकार किया कि स्वतंत्र भारत के रचनात्मक काल मे वे उसकी नीतियो पर प्रभाव डाल सकेगे तथा विभाजन के बाद पाकिस्तान मे छूट गए लाखो हिन्दुओ के हितो कि रक्षा कर सकेगे |

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का केंद्रीय उधयोग तथा आपूर्ति मंत्री के रूप मे प्रदर्शन वास्तव मे अद्भुत था |उन्होने भारत के औदयोगिक विकास कि सुद्रढ़ नीव रखी |अन्य परियोजनाओ किए साथ उन्होने 1950 मे चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स तथा 1951 मे सिंदरी उर्वरक कारखाने की स्थापना की |

मोटे -मोटे विषयो विशेष रूप से पाकिस्तान के संबंध मे सरकार से उनके नैतिक मतभेद काफी जल्दी ही उभर आए |1950 के नेहरू -लियाकत समझोते से स्थित अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई |उस समझोते पर हस्ताक्षर होने से रोकने मे असफल रहने पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया तथा सरकार की नीति का बाहर से विरोध करने का निश्चय किया |भारत की संसद  -सह -संविधान सभा मे विपक्ष मे बैठने वाले पहले सदस्य थे ,श्यामा प्रसाद मुखर्जी |

9 अप्रैल 1950 को संसद मे त्यागपत्र के विषय मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बयान से इस राजनीतिज्ञ की दूरदर्शिता स्पष्ट होती है |यह लगभग संतों की सी वाणी है |उन्होने भारत -पाकिस्तान संबंधों का बहुत यर्थाथ मूल्याकन प्रस्तुस्त किया |यह लगभग संतों की-सी वाणी है |यह समझौता किसी समस्या को नही सुलझाएगा |इसके जो कारण उन्होने गिनाए ,वे आज भी उतने ही सार्थक है ,जितने स्वतंत्रता के उस आरंभिक दौर मे थे |

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ का गठन किया |अक्तूबर 1951 मे वे इसके संस्थापक -अध्यक्ष बने तथा संस्था को सत्तारूढ़ दल का राष्ट्र्वादी जनतांत्रिक विकल्प बनाने मे जुट गए |श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1952 मे प्रथम आम चुनावो मे उत्तरी कोलकाता से प्रथम लोकसभा मे चुने गए |जनसंघ के केवल दो अन्य सदस्य चुने गए परन्तु उन्होने उड़ीसा की गणतंत्र परिषद ,पंजाब के अकाली दल ,हिन्दू महासभा सहित छोटी पार्टिया तथा कुछ स्वतंत्र सदस्य के गठबंधन से राष्ट्रीय जनतांत्रिक दल बनाया |श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके नेता चुने गए |

पाकिस्तान समर्थक तत्वो से समर्थन पाकर अलगाववादी विचारो से कश्मीर मे स्थित धीरे -धीरे तनावपूर्ण होती जा रही है |`श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ध्यान जम्मू -कश्मीर की और अधिक आकर्षित होने लगा |वे शेख अब्दुल्ला के व्यवहार तथा कुछ वक्तव्यो से सतर्क हो गए तथा उन्होने जम्मू कश्मीर प्रजा परिषद का मामला संभालने का निश्चय किया |

श्याम प्रसाद मुखर्जी ने अगस्त 1952 मे जम्मू और कश्मीर की यात्रा की |विशाल जनसमुदाय को संभोधित करते हुए उन्होने कहा की मे आपको भारत का संविधान दिलाऊंगा या फिर उसके लिए अपनी जान दे दूँगा |और उनके शब्द सच हुए |मई 1953 मे जम्मू के लोगो के विरुद्ध लड़ रहे शेख अब्दुल्ला के कामो से उत्पन्न परिस्थित का उसी स्थल पर अध्ययन करने के लिए उन्होने फिर से जम्मू जाने का निश्चय किया |भारत सरकार ने पहले उन्हे पंजाब मे गुरदासपुर मे गिरफ्तार करने का फैसला किया |परंतु बाद मे अपना विचार बदला और उन्हे कश्मीर मे प्रवेश करने की अनुमति दे दी |

श्यामा प्रसाद मुखर्जी गिरफ्तार किए गए और 23 जून 1953 को कारावास मे ही उनकी म्रत्यु हो गई |शहादत तथा स्वतंत्रता के बाद हो रही हत्याओ तथा तकलीफों के अतिरिक्त राष्ट्र -विभाजन के परिणाम सामने आते जा रहे थे |

 

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