रक्षाबन्धन की कहानी : Rakshabandhan Story In Hindi [ इतिहास ]

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रक्षाबन्धन की कहानी : Rakshabandhan Story In Hindi [ इतिहास ] : दोस्तो आज हम आपको Rakshabandhan Ki Kahani बताने जा रहे हैं , कि आखिर रक्षाबंधन क्यो मनाया जाता है! तो चलिये जानते है रक्षाबंधन कि कहानी 

रक्षाबंधन हिन्दुओ का मुख्य त्योहार है |जो प्रतिवर्ष श्रावण महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है | रक्षाबंधन प्रत्यके भाई बहन का मुख्य त्योहार है अतः समस्त हिन्दू रक्षाबंधन  को भाई -बहन का अटूट बंधन मानते है |पिछले वर्ष  रक्षाबंधन का त्योहार 7 अगस्त दिन सोमवार को मनाया गया था |तथा अबकी बार रक्षाबंधन का त्योहार 26 अगस्त को मनाया जाएगा |बताया गया है कि भाई -बहन चाहे जितना भी झगड़ ले बल्कि जितना प्यार भाई और बहन के बीच होता है |उतना प्यार दुनिया के किसी कोने में नही है |भाई के लिए तो बहन का एक सूती धागा इतना मूल्यवान होता है |कि उसके सामने सभी वस्तु बेकार होती है |और इसी प्रकार से बहन के लिए भी भाई की  कलाई में धागा बांधने का सोभाग्य प्राप्त होता है |रक्षाबंधन के दिन भाई- बहन का हर्षपूर्ण दिन होता है |और प्रत्यके हिन्दू के घर में पूर्णरूप  से  साफ़ -सफाई की जाती है और बहन ब्रम्ह्मुहुर्त में उठकर पूजा की थाली सजाती है |थाली में राखी के साथ  रोली या हल्दी, चावल ,दीपक ,मिठाई रखती है |और फिर बहन सर्वप्रथम भगवान की पूजा करती है |और फिर भाई को किसी उपयुक्त स्थान पर बिठाया जाता है |इसके बाद बहन भाई के मस्तक पर टीका लगाती है , और आरती उतारती है | इसके बाद बहन भाई को तथा भाई बहन को मिठाई खिलाते है | इसके बाद भाई बहन को उपहार देते है |

Rakshabandhan Story In Hindi

एतिहासिक पुराण के आधार पर  बताया गया है कि ईश्वर और दैत्यो के बीच विशाल युद्ध हुआ | जिसमे भगवान इद्र को एक असुर राजा बलि ने हरा दिया |भगवान इंद्र की पत्नी का नाम सची था |जो कि उन्होंने यह सुनकर तुरंत भगवान विष्णु से सहायता मागने के लिए गई |तथा भगवान विष्णु ने सची को सूती धागा दिया और कहा कि यह सूती धागा भगवान इन्द्र के हाथ मे बांध दे और भगवान विष्णु ने भी इन्द्र कि सुरक्षा और सफलता कि कामना की और अगले दिन फिर भगवान इन्द्र और राजा बलि के बीच युद्ध होता है | जिसमे भगवान इन्द्र राजा बलि को हराने मे सक्षम होते है |और युद्ध जीतकर फिर से अमरावती पर अपना अधिकार प्राप्त कर लेते है |अतः इसमे यह बताया गया है कि यह सूती धागा कितना मूल्यवान था और अब भी है |इसके बाद से हर पत्नी अपने पति के युद्ध मे जाने से पहले इस पवित्र धागे को हाथ मे बांधती थी |और इसी तरह से रक्षाबंधन के त्योहार का प्रचलन हुआ बल्कि यह त्योहार तो भाइयो और बहनो का मुख्य त्योहार माना जाता है |इस तरह से यह बताया गया है कि यह भाइयो और बहनो तक सीमित नही हैं बल्कि यह त्योहार तो प्रत्यके हिन्दू भाई मना सकते है |

यहा पर रक्षाबंधन के अटूट बंधन मे राजा बलि और माता लक्ष्मी के बारे मे बताया गया है |और भगवत पुराण के आधार पर बताया गया है कि भगवान विष्णु तथा राजा बलि के बीच युद्ध हुआ जिसमे भगवान विष्णु ने राजा बलि को पराजित कर दिया |फिर भगवान विष्णु ने तीनों लोको पर अपना अधिकार प्राप्त कर लिया |और राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि हे !ईश्वर आप हमे अपनी शरण मे ले लीजिये |तो भगवान विष्णु बलि को वचन देते है और शरण मे ले लेते है| और धीरे -धीरे  भगवान विष्णु और बलि कि मित्रता बढ़ती ही जा रही थी जो भगवान विष्णु कि पत्नी माता लक्ष्मी को यह सब देखकर अच्छा नही लग रहा था अतः उन्होने भगवान विष्णु के साथ बैकुंठ जाने का निर्णय किया | और जब वह  जाने लगे तो माँ लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा धागा बांधकर भाई बना लिया जिससे राजा बलि अति प्रसन्न होकर माता से उपहार मांगने के लिए कहा -तो माँ लक्ष्मी कहती है |कि आप भगवान विष्णु को उनके दिए हुए वचन से मुक्त कर दीजिये |और बलि ने यह बात मान ली और साथ मे ही माँ लक्ष्मी को बहन के रूप मे स्वीकार कर लिया |

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