Rabindranath Tagore Wikipedia In Hindi : Biography Jivni :- Hlo Friends , आज हम आपको Rabindranath Tagore के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है , जिसमे हम आपको Rabindranath Tagore की Biography In Hindi और Rabindranath Tagore Ke Baare Mein Full Information देने वाले है आशा है आपको Rabindranath Tagore के जीवन से सम्बन्धित उनकी जीवनी पसंद आएगी |
आज आपसे एक ऐसे महापुरूष के जीवन के बारे में आपको बताने जा रहा हूं जो कि एक महान कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, निबंधकार, नाटककार और चित्रकार थे। वे भारत के एक ऐसे दैदीप्यमान सूर्य है जिनका प्रकाश भारत के सभी दिशाओं में फैला। आज आपको रविन्द्रनाथ टैगोर जो कि भारत के ऐसे साहित्यकारों में से एक है जिन्होंने इस साहित्य जगत को सिंचित-पल्लवित किया और यह साहित्य जगत उनका आजीवन ऋणी रहेगाा।
Rabindranath Tagore Biography In Hindi :Wikipedia
- नाम : रविन्द्रनाथ टैगोर
- जन्म :7 मई 1861
- जन्म स्थान : जोर-साँको (कोलकाता)
- माता :श्री मती शारदा देवी
- पिता :श्री देवेन्द्र नाथ टैगोर
- धर्म :हिन्दू
- राष्ट्रीयता :भारतीय
- भाषा :बंगाली , English
- उपाधि : गुरुदेव
- प्रमुख रचना : गीतांजली
- अन्य रचनाएं: कवि और कविता, अन्तिम प्यार से, नई रोशनी, विद्रोही, कवि का हृदय, काबुलीवाला, यह स्वतंत्रता, पिंजर, अपरिचिता, धन की भेंट, पत्नी का पत्र, भिखारिन, कंचन, समाज का शिकार।
Rabindranath Tagore Wikipedia In Hindi : Biography | Jivni
भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता, जन गण मन के रचयिता गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर (7 मई 1861- 7 अगस्त 1941) का जन्म 7 मई सन् 1861 को कलकत्ता के प्रसिद्ध जोर सांको ठाकुरबाड़ी भवन में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था। आपके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर जाने माने समाज सुधारक थे | वे ब्रह्म समाज के संस्थापक थे | वे तीसरे प्रधानाचार्य थे। आपकी माता शारदा देवी जी थी ,जो धार्मिक विचारों वाली महिला थी। 1875 में जब टैगोर 14 साल के थे , तब इनकी माता का देहावसान हो गया। आप देवेन्द्रनाथ के सबसे छोटे पुत्र थे।
इनके पिता इनको बैरिस्टर बनाना चाहते थे । इनकी पढ़ाई सेंट जेवियर स्कूल में हुई। इसके बाद इन्होंने कानूनी पढ़ाई के लिए लंदन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए ही वापस आ गए क्योंकि बैरिस्टर की पढ़ाई में इनकी रूचि नहीं थी। कम उम्र में ही इनका विवाह मृणालिनी देवी के साथ हुआ। रविन्द्रनाथ टैगोर की बाल्यकाल से ही कविताएं और कहानियां लिखने में रूचि थी। वह एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, निबंधकार, नाटककार और चित्रकार थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री टैगोर सहज ही कला के कई स्वरूपों की ओर आकृष्ट हुए जैसे- साहित्य, संगीत, कविता, नृत्य। उनकी प्रतिभा के बारे में इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब वे महज 8 साल के थे तब उन्होंने पहली कविता लिखी थी और किशोरावस्था से पहले ही एक लघु कथा लिख दी थी।रविन्द्रनाथ टैगोर जी को गुरूदेव के उपनाम से भी जाने जाता है। वे एकलौते ऐसे कवि है जिन्होंने भारत और बांग्लादेश दोनों के राष्ट्रगान लिखे। उनकी रचनाओं में सरलता व अनूठापन है।’भारत’ का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और ‘बांग्लादेश’ का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बंगला’ गुरूदेव की ही रचनाएं है। तकरीबन इक्यावन साल की उम्र में ‘गीतांजलि (Geetanjali)’ साहित्य लिखा। सन् 1913 में अल्फ्रेंड नोबेल फाउंडेशन ने रवीन्द्रनाथ टैगोर के ‘गीतांजलि’ कविता संग्रह को साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाला सबसे बड़ा नोबेल पुरस्कार प्रदान किया। कहते है कि टैगोर को नोबेल पुरस्कार नहीं मिल पाता यदि गीतांजलि की चर्चा अपने दोस्तों से न की होती। गीतांजलि के कारण वे दुनियाभर में छा गए। गीतांजलि बाद में लोगों को इतनी पसंद आई कि इसका जर्मन, फ्रेंच, जापानी, रूसी इत्यादि भाषाओं में अनुवाद किया गया। वे सीखने के लिए उम्र को बाधा नहीं मानते थे। इसलिए 70 साल की उम्र में उन्होंने चित्रकारी शुरू किया। उनकी लोकप्रिय रचनाओं में ‘गोरा’, ‘काबुलीवाला’, ‘मास्टरसाहब’, ‘पोस्टमास्टर’ प्रमुख हैं। वर्ष 1901 में रविंद्रनाथ शान्ति निकेतन चले गए। वहां जाकर उन्होंने एक आश्रम स्थापित किया। और यही रहते हुए उन्होंने पुस्तकालय, पूजास्थल, एक स्कूल निर्माण किया। वे अपने जीवन में अल्बर्ट आइन्सटीन से मिले जो इन्हें रब्बी टैगोर कह कर पुकारते थे।
इंदिरा गांधी जैसी विभूतियों ने शान्ति निकेतन से ही शिक्षा ग्रहण की। यहीं पर रहते हुए उनकी पत्नी और दो बच्चों की भी मृत्यु हो गयी।इनको करीब सात से अधिक भाषाओं का ज्ञान था इनकी रचनाये मुख्यत: हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला में है। कविताओं और कहानी के माध्यम से अपने लेखन से लोगों के मानसिक और नैतिक भावना को प्रदर्शित किया। उनकी रचनाओं में एक क्रांति थी। बाद में उनका लेखन अग्रणी और क्रांतिकारी साबित हुआ। 13 अप्रैल सन् 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड नरसंहार त्रासदी के कारण वे बहुत दु:खी हुए। जिसमें बहुत से निर्दोष महिलायें व बच्चें मारे गए। रवींद्रनाथ के विभिन्न क्षेत्र के कार्यो को देखकर अंग्रेज सरकार ने इन्हें सर की उपाधि दी। लेकिन बेकसूर भारतीयों को जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड में मौत के घाट उतार देने के कारण उन्होंने अंग्रेज सरकार से प्राप्त नाइटहुड की उपाधि ‘सर’ भी लौटा दी। टैगार ने करीब दो हजारे से ज्यादा गीतों की रचना की। उनकी रचनाएं बांग्ला संस्कृति व संगीत की अमूल्य धरोहर है। 7 अगस्त 1941 को राखी के दिन इस महान कवि ने अंतिम सांस ली।
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