World Environment Day Nibandh Essay In Hindi : Wikipedia
दोस्तों आज हम आपको Paryavaran Diwas के बारे में बताने जा रहे है|क्योंकि पर्यावरण है तो हमारा जीवन है|आज Paryavaran Diwas In Hindi को पढेगे साथ ही आप इन topics के बारें में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे Vishv Paryavaran Diwas Kab Manaya Jata Hai ,Vishv Paryavaran Diwas ,Rashtriya Paryavaran Diwas,Vishv Paryavaran Diwas Par Nibandh ,Vishv Paryavaran Sanrakshan Diwas,Paryavaran Pradushan Ke Prakar आशा है आपको यह पोस्ट पसंद आएगी|
Vishv Paryavaran Diwas Kab Manaya Jata Hai :-
दोस्तों कभी आपने विचार किया है कि यदि यह पर्यावरण नहीं होता तो हम कहाँ रहते ? पर्यावरण हमारे घर जैसा है जहाँ हम रहते है क्योंकि आज हर मनुष्य अपने घर को साफ़ -सुथरा ,सुन्दर और सुरक्षित रखता है|जिससे वह आराम से रह सके उसी तरह हमें पर्यावरण को भी साफ़ -सुथरा रखना चाहिए|पर्यावरण में हम साँस लेते है ,इसी पर्यावरण से हमें पीने के लिए जल मिलता और खाने के लिए अन्न मिलता है|पर्यावरण हमें इतना सब कुछ देती है तो क्या हमारा कर्त्तव्य नहीं कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षा और संरक्षण दे|क्योंकि संसार में हर चीज़ सीमित मात्रा में होती है उपयोग से अधिक अगर हम इसका दोहन या दुरपयोग करते है तो भविष्य में यह बचेगा ही नहीं|भारत में कई राष्ट्रीय दिवस मनाये जाते है|पर्यावरण को एक अहम् मुद्दा मानकर पर्यावरण दिवस भी राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है|इस दिन हर नागरिक को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना चाहिए|इस दिन कम से कम 10 पेड़ जरुर लगाने चाहिए|पर्यावरण क्या है इसके बारे में हम आपको पूरी जानकारी दे रहे है :-
Vishv Paryavaran Diwas Ka Kya Mahtva Hai :-
पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है ”परि” और ”आवरण’‘| परि का अर्थ है हमारे आस पास अर्थात जों हमारे चारों तरफ है| आवरण का अर्थ है जो हमें ढके हुए है| ऐसा परिवेश जो हमें चारों तरफ से ढके हुए है उसे हम पर्यावरण कहते है| पर्यावरण में जैविक तथा अजैविक दोनों ही संघटक आते है|पर्यावरण में जैविक संघटको में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर छोटे कीड़े- मकौड़े, सभी जीव-जंतु ,पेड़ -पौधे है और अजैविक संघटको में नदी ,पर्वत ,हवा आदि है|पर्यावरण को कुछ हद तक गन्दा करने में हमारा भी हाथ है|पर्यावरण को सुन्दर साफ़ -सुथरा बनाने के लिए हम पर्यावरण दिवस मनाते है|पर्यावरण हर साल 5 जून को मनाया जाता है|यह दिवस इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि कई सालों से हमारा पर्यावरण अत्यधिक दूषित होता रहा था|पेड़ -पौधे काटे जा रहे थे दिन पर दिन पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा था|
Vishv Paryavaran Diwas Kab Manaya Jata Hai :-
पूरे देश में लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ ही साथ कुछ अच्छी सोच के साथ पर्यावरणीय कार्यवाही को लागू करने के लिए तथा पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने के लिए वर्ष 1974 ,5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा| विश्व पर्यावरण दिवस ,पर्यावरण की देखभाल हेतु पूरे देश में मनाया जाता है| इस दिवस को सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक को जागरूक करने हेतु वर्ष 1972 में की थी| 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था|इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ|हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिको को इस समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया|इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकरता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था | 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया| तभी से पर्यावरण दिवस को 5 जून से मनाया जाने लगा| यह 100 से ज्यादा देशो के लोगों के द्वारा मनाया जाता है| विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का सिर्फ एक ही मकसद है कि हम जिस परिवेश में रहते है वहां की हवा ,जल, दूषित न हो|हम ऐसे परिवेश में रहना चाहते है जहा शुद्ध हवा ,स्वच्छ पानी हो|इस सम्मेलन में भारत की तत्कालीन प्रधानमन्त्रीं इन्दिरा गांधी ने भी व्याख्यान दिया था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण की सुरक्षा संरक्षण की तरफ से पहला कदम था इसलिए यह दिन भारत के लिए ख़ास है |
Rashtriya Paryavaran Diwas
पर्यावरण को प्रदूषित होने के कई कारण है हम पर्यावरण को कई प्रदूषणों से प्रदूषित करते है तो चलिए आपको हम उन प्रदूषणों के बारे में जान
Paryavaran Pradushan Ke Prakar
प्रदूषण के कई प्रकार है :-
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- भूमि प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदूषण
- जल प्रदूषण – जल में किसी रासायनिक पदार्थ की उपस्थिति ,जो जल में मिलकर जल के गुणों को कम कर दे कि जल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाए और उसकी उपयोगिता कम हो जाये जल प्रदूषण कहते है |
Jal Pradushan Ke Karan
जल प्रदूषण के कई कारण है जल को गन्दा करने पर पर्यावरण गन्दा होता है |तो चलिए जानते है :
- कल -कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ से जल प्रदूषण होता है |
- मानव द्वारा कूड़ा -कचरा और मानव मल नदियों में फेंकना |
- कृषि कामों में प्रयोग होने वाली जहरीली रसायनों और खादों का पानी में घुलना |
- मानव -शवों को नदी में प्रवाहित करना |
Jal Pradushan Ke Prabhav
- मनुष्य ,पशु और पक्षियों के जीवन को खतरा है इससे कई बीमारियाँ पैदा होती है|
- वनस्पतियों को भी खतरा है|
- पीने के पानी में गुणों में कमी आती है|
Jal Pradushan Ke Upay
- कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ नदी में नही डालना चाहिए|
- बिजली या ताप घर से निकले हुए पानी को स्प्रे पाउंड या अन्य स्थानों से ठंडा करके पुनः उपयोग में लाया जा सकता है|
- जिन नदी ,तालाब ,का जल पीने में उपयोग में लाते है उसमे कपडे ,जानवर नही धोने चाहिए|
2.वायु प्रदूषण – वायु में कई गैसों का मिश्रण है जिसमे नाइट्रोजन की मात्रा 78 प्रतिशत होती है ,जबकि 21 प्रतिशत आक्सीजन और 0.03 प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड पाया जाता है तथा शेष अन्य गैस पाई जाती है|साँस लेने के लिए आक्सीजन गैस जरुरी होती है|जब कभी आक्सीजन की कमी और कार्बन डाई आक्साइड ,नाइट्रोजन की बढ़ोतरी होती है तो ऐसी वायु को वायु प्रदूषण कहते है|
Vayu Pradushan Ke karan
वायु प्रदूषण के कारण निम्नलिखित है :-
- कारखानों ,चिमनियों से निकलने वाला धुआं |
- वाहनों से निकलने वाला धुआं|
- प्लास्टिक ,जंगलो में पेड़ -पौधे जलने पर निकलने वाला धुआं|
- तेल शोधन कारखानों से निकलने वाला धुआ |
Vayu Pradushan Ke Prabhav
- वायु प्रदूषण से ठंडियो में धुएं और मिट्टी के कण आपस में मिल जाते है जिसके कारण मनुष्यों को सही से दिखाई नहीं देता है और आँखों में जलन होने लगती है |
- ओजोन परत को नुकसान पहुचता है जिसके कारण लोगों को जीन अपरिवर्तन ,अनुवांशिक और स्किन कैंसर होता है|
- वायु प्रदूषण से अम्लीय वर्षा को खतरा बढ़ जाता है|
Vayu Pradushan Ke Upay
वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय बताये जा रहे है जो इसप्रकार है :-
- जनसँख्या वृद्धि में कमी लाना|
- लोगों को वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक करना|
- गाड़ियों का कम प्रयोग करना|
- कारखानों के चिमनियो में फिल्टरों का उपयोग करना चाहिए|
- पेड़ो को लगाना चाहिए|
- अधिक धुआं देने वाले साधनों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए|
3.ध्वनि प्रदूषण – जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है तो वह कानों को अच्छी नहीँ लगती है|अधिक ध्वनि से मनुष्य को घबराहट और बेचैनी होती है वायुमंडल में अच्छी न लगने वाली ध्वनि को ही ध्वनि प्रदूषण कहते है|
Dhvani Pradushan Ke karan
- लाउडस्पीकर,वाहन,ट्रेन,टेलीविज़न,जनरेटर,हवाई जहाज़ आदि आधुनिक मशीनों से ध्वनि प्रदूषण होता है|
Dhavni Pradushan ke Prabhav
- ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता कम होती है|
- ध्वनि प्रदूषण से दिमाग स्थिर नहीं रहता है|
- ध्वनि प्रदूषण से सिरदर्द ,चिड़चिड़ापन आ जाता है|
Dhvani Pradushan Ke Upay
- लोगों को ध्वनि प्रदूषण के बारे में जागरूक करना|
- जो मशीने ज्यादा शोर करती हो उन्हें बदलवा देना चाहिए|
- उद्योगों और कारखानों को शहरों या आबादी से दूर रहना चाहिए|
- बहुत तेज़ आवाज में म्यूजिक नहीं सुनना चाहिए|
- वाहनों में लगे होर्नो को तेज़ नहीं बजाना चाहिए|
4.भूमि प्रदूषण -भूमि के भौतिक ,रासायनिक,जैविक गुणों में कोई ऐसा परिवर्तन जिसका मानव तथा जीवो पर बुरा प्रभाव या जिससे भूमि की गुणवत्ता या उपयोगिता नष्ट हो भूमि प्रदूषण कहलाता है|
Bhumi Pradushan Ke karan
- खेती करते वक्त कृषि में उर्वरक,रसायनों,कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग|
- कागज़ और चीनी मिलों से निकलने वाला पदार्थ का निपटान ,जो मिट्टी में मिल नहीं पाती है|
- घरो ,होटलों द्वारा निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ का निपटान, जिसमे प्लास्टिक ,कपडे ,लकड़ी आदि शामिल है|
- प्लास्टिक का अधिक प्रयोग, जो मिट्टी में गल नहीं पाती है|
Bhumi Pradushan Ke Prabhav
- कृषि योग्य जमीन का कम होना|
- भूस्खलन से होने वाली हानियाँ|
- जल प्रदूषण में वृद्धि|
- वायु प्रदूषण में वृद्धि|
Bhumi Pradushan Ke upay
- मृत प्राणियों ,घर के कूड़ा -करकट ,गोबर को गड्ढे में डालकर ढक देना चाहिए|
- मृदा अपरदन को रोकने के लिए आस -पास पौधें लगाना चाहिए|
- गोबर गैस संयंत्र बनाना चाहिए|
- टिन,ताबा ,लोहा ,कांच को मृदा में नहीं दबाना चाहिए|
5.रेडियोधर्मी प्रदूषण – विशेष गुण वाले तत्व जिन्हें हम आइसोटोप कहते है और रेडियोधर्मिता का विकास करते है|जिससे मनुष्य ,वनस्पतियो,अन्य पर्यावरणीय घटकों को हानि पहुचने का खतरा रहता है तो उसे रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते है|
- रेडियोधर्मी प्रदूषण के प्राकृतिक स्त्रोत :-आतंरिक किरणे ,पर्यावरण और जीव-जंतु|
- रेडियोधर्मी प्रदूषण के मानव निर्मित स्त्रोत :-रेडियो डायग्नोसिस ,रेडियोथेरेपिक उपकरण ,नाभकीय परीक्षण ,नाभकीय अपशिष्ट|
Radiodharme Pradushan Ke upay
रेडियोधर्मी प्रदूषण को नियन्त्रण में करने के लिए निम्नलिखित उपाय है|
- परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाना|
- गाय के ढूध का उपयोग करना चाहिए|
- रेडियोधर्मी किरणों से बचने के लिए गाय के गोबर से घर की दीवारों पर पुताई करनी चाहिए|
- वृक्ष लगाने चाहिए|
- रेडियोधर्मी पदार्थो का रिसाव सीमित मात्र में हो|
- वातावरण में विकिरण की मात्रा कम होनी चाहिए|
paryavaran sanrakshan
जैसा कि आपको नाम से पता चल गया होगा कि पर्यावरण संरक्षण क्या है|वह संरक्षण जो पर्यावरण के लिये किया जाए|पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है|पर्यावरण और मनुष्य का गहरा सम्बन्ध है|देखा जाये तो दोनों एक दूसरे के पूरक है|क्योंकि आप सबने पढ़ा होगा कि पेड़ -पौधे, प्रकाश – संश्लेषण की क्रिया में भोजन बनाते है और ऑक्सीजन गैस छोड़ते है|वही ऑक्सीजन गैस मानव जाति को जीवित रखती है|पर आजकल फैशन के चलते मनुष्य पेड़ को काटता है ,पर एक पेड़ कभी नही लगता है क्या आपने कभी सोचा है कि यदि पेड़ न होते तो क्या होता जो हम ऑक्सीजन हम लेते है वह हमें कहा से मिलती|पृथ्वी पर भगवान ने हर प्राकृतिक चीजों को सीमित मात्रा में बनाया है,यदि हम इसका अधिक दोहन करेगें तो वह समय दूर नहीं है जब प्रकृति हमसे सारी सुख – सुविधाये छिन लेगी|पेड़ – पौधे हमें शुद्ध वायु ,ताज़े फल ,लकड़ियां,सुन्दर फूल देते है जब पेड़ हमें इतना कुछ देते है तो हमें भी उनकी सुरक्षा करनी चाहिए|यदि कोई पेड़ो को काटे तो उसे रोकना चाहिए और उसे समझाना चाहिए|
paryavaran sanrakshan ke upay
- किसी भी चीज का कम उपयोग करना|
- दोबारा प्रयोग में लाना|
- पुनरावृति करना जैसे – किसी वस्तु को तभी खरीदे जब उसकी जरुरत हो| प्लास्टिक ,जार ,कांच ,कागज़ इन सब चीजों की पुनरावृति कर सकते है|
- जल कम खर्च करना|
- बिजली का कम प्रयोग करना|
- पेड़ – पौधे लगाना|
- धूम्रपान न करना|
Paryavaran Sanrakshan Adhiniyam
संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण सम्मेलन से प्रभावित होकर भारत ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम ,1986 को परित किया गया| यह अधिनियम ;पर्यावरण के समस्त पहलुओ को ध्यान में रख कर बनाया गया|इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को साफ़ – सुथरा बनाना है| इस अधिनियम में 26 धाराए है ,जिन्हें चार अध्यायों में बाँटा गया है| यह अधिनियम 19 नवम्बर 1986 से लागू किया गया है| इस अधिनियम के उद्देश्य नीचे है जो इस प्रकार है|
- पर्यावरण का संरक्षण और सुधार करना|
- पर्यावरण संरक्षण क्रियाकलापों के बीच समन्वय करना|
- पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निर्धारित करना|
- पर्यावरण प्रदूषण के निवारण करना|
- राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना|
- इस अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है|
- पर्यावरण सुरक्षा से सम्बंधित अधिनियमों के अंतर्गत राज्य – सरकारों ,अधिकारियो और सम्बंधितों के काम में समन्वय करना|
- मानव ,जीव – जंतु ,पेड़ -पौधे को संकट से बचाना|
- पर्यावरण के स्टॉकहोम सम्मेलन के नियमों को कार्यान्वित करना|
Paryavaran Diwas Mein Hamara Yogdaan
- पेड़ लगाये|
- पॉलिथीन का प्रयोग न करे|
- बिज़ली का दुरपयोग न करे|
- जल का दुरपयोग न करे|
- अन्न को बर्बाद न करे|
- किसी वस्तु का दोबारा उपयोग करे|
- पेड़ लगाये – हमें पेड़ जरुर लगाने चाहिए| क्योंकि पेड़ हमें ताज़ी हवा देते है और ऑक्सीजन देते है| पर्यावरण के दिन हमें कम से कम एक पेड़ जरुर लगाना चाहिए|
- पॉलिथीन का प्रयोग न करें – यदि आप कही शॉपिंग के लिए जाते है तो प्लास्टिक का बैग जरुर लेते होंगे|लेकिन क्या आपको पता है पॉलिथीन या प्लास्टिक दोनों ही पर्यावरण को हानि पहुचाते है क्योंकि पॉलिथीन मिट्टी में नहीं मिल पाती और यह पर्यावरण को गन्दा करती है इसलिए जब भी बाहर जाये तो साथ में पेपर बैग्स या कपड़ो के बने बैग्स का इस्तेमाल करे|
- बिजली का दुरपयोग न करे – हम जितनी कम बिजली का उपयोग करेगें उतनी ही कम बिजली प्रोड्यूस करनी पड़ेगी|भारत में बिजली पैदा करने के पॉवर प्लांट कम है|
- जल का दुरपयोग न करें – जल अमूल्य है| भारत का जलस्तर कम है| आपने कई बार यह कहावत सुनी होगी कि ”बूंद बूंद से घड़ा भरता है ”| जब आपको जरुरत हो तब इसका उपयोग करें|
- खाना बर्बाद न करें -हमें खाना बर्बाद नही करना चाहिए जितनी आप खा सकते उतना ही लेना चाहिए क्योंकि यह किसी जरूरतमंद को भी दिया जा सकता है अन्न की बर्बादी न करे जितना अन्न हम उगाते है उतना ही आधिक प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव पड़ता है यदि अन्न बच जाये तो उसे consume करें|
- पैदल चले या साईकिल से चले – आजकल हर कोई कार या बाइक से चलना चाहता है लेकिन संसाधनों के प्रयोग से होने वाला प्रदूषण पूरे पर्यावरण को नुकसान पहुचाता है इसलिए हमें पैदल चलना चाहिए|
- हैण्ड पंप का प्रयोग करे -पहले ज़माने के लोग हैंडपंप से पानी निकाल कर पीते थे और जितनी जरुरत होती थी उतना ही पानी निकलता था और साथ ही साथ कसरत हो जाती थी|आजकल मोटर पंप से जल्दी पानी तो जरुर भर जाता है लेकिन हम पानी को बर्बाद भी कर रहे है|
” पशु – पक्षी है धरती की शान ,
और पेड़ है धरती की जान ”
” तभी आयेगी सुन्दर हरियाली ,
जब होगी पेड़ पौधों की रखवाली’ ‘