M. Karunanidhi Biography In Hindi : Wikipedia
दोस्तों आज हम आपसे M. Karunanidhi की Biography Wikipedia Hindi में Share करने वाले हैं , इस article में आप M. Karunanidhi का राजनितिक जीवन (Political career ) , करूणानिधि की जीवनी से लेकर मृत्यु (निधन) तक का पूरा सफ़र जानेंगे |
M. Karunanidhi Wikipedia In Hindi
दक्षिण भारत की राजनीति के पितामह और दक्षिण की राजनीति के मुख्य स्तम्भ और तमिलनाडु के 5 बार मुख्यमंत्री रहे एम करूणानिधि का लंबी बीमारी के चलते आज शाम 6 बजे देहान्त हो गया। 94 वर्षीय द्रविड़ मुनेत्र कड़गम जिसको आप (DMK) के नाम से जानते है, के सुप्रीमों करूणानिधि का पिछले कई महीनों से ब्लड-प्रेशर काफी Low होने की वजह से वे अस्पताल में भर्ती थे जिसके पहले उनका इलाज घर पर ही चल रहा था। लेकिन जब अचानक करूणानिधि की तबियत खराब हो गयी तो उन्हें कावेरी अस्पताल में आनन-फानन भर्ती कराया गया। कावेरी अस्पताल ने एक प्रेस रिलीज में यह कहा है कि बढ़ती उम्र के कारण ही करूणानिधि की तबियत बिगड़ी। साथ ही उन्हें तेज बुखार आ रहा था कावेरी अस्पताल ने यह प्रेस रिलीज 6:40 पर जारी किया गया जिसमें करूणानिधि की मृत्यु की पुष्टि की गयी। करूणानिधि ने मंगलवार की शाम 6:10 बजे अन्तिम सांस ली। यह खबर जैसे ही लोगों के बीच पहुंची लोगों का जमावड़ा कावेरी अस्पताल के सामने लगना शुरू हो गया। करूणानिधि की मृत्यु के बाद तमिलनाडु ही क्या पूरा भारत सदमें मे है। करूणानिधि के नाम अपनी सीट न हारने का रिकार्ड भी है। वो 5 बार मुख्यमंत्री रहे और साथ ही 12 बार विधानसभा सदस्य भी। उन्होंने जिस सीट पर चुनाव लड़ा वे उस सीट पर हमेशा विजयी रहे।
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आज हम आपसे करूणानिधि की पूरी जीवन गाथा शेयर करेंगे।
M. Karunanidhi Early Life :-
एम. करूणानिधि का पूरा नाम मुत्तुवेल करूणानिधि था। वे तमिलनाडु राज्य के एक द्रविड़ राजनीतिक दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के प्रमुख भी थे। सन् 1969 में डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुरई की मौत के बाद से वह डीएमके के नेता बने। और 5 बार मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया। एम करूणानिधि ने अपने 60 साल के Political Career में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकार्ड बनाया। 2004 के अपने लोकसभा चुनाव में उन्होंने तमिलनाडु, पांडिचेरी में डीएमके के प्रतिनिधित्व वाली यूपीए और वामपंथी दल का नेतृत्व किया। और इस प्रकार लोकसभा की सभी 40 सीटों पर अपनी जीत दर्ज की। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में करूणानिधि ने डीएमके के द्वारा जीती गयी सीटों की संख्या को काफी बढ़ा दिया। सीटों की संख्या अब 16 से बढ़कर 18 हो गयी थी और तमिलनाडु, पाण्डिचेरी में यूपीए का नेतृत्व कर बहुत छोटे से गठबंधन के बावजूद 28 सीटों पर विजय प्राप्त की। एम. करूणानिधि एक प्रख्यात नाटककार और पटकथा लेखक भी जाने जाते है। उनके समर्थक उन्हें ‘कलाईनार’ कहकर बुलाते है। कलाईनार का अर्थ- कला का विद्वान होता है।
एम करूणानिधि का जन्म मुत्तुवेल और अंजूगम के घर 3 जून 1924 को नागपट्टिनम के तिरूक्कुभलड़ में दक्षिणमूर्ति के रूप में हुआ था। एम करूणानिधि इसाई वेल्लालर समुदाय से ताल्लुक रखते है। फिलहाल विकीपीडिया पर इनका धर्म नास्तिक बताया गया है। करूणानिधि ने तमिल फिल्म उद्योग में एक पटकथा लेखक के रूप में खूब नाम कमाया है क्योंकि करूणानिधि पटकथा लेखन में अच्छे थे इसलिए अपनी बुद्धि और भाषण कौशल के माध्यम से यह बहुत ही कम समय में लोगों के दिल में जगह बनाने में सफल रहे और ये एक राजनेता बन गए। एम करूणानिधि समाजवादी बुद्धिवादी और आदर्शवादी कहानियां लिखने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने तमिल सिनेमा जगत का इस्तेमाल करके पराशक्ति नामक फिल्म के जरिए अपने राजनीतिक विचार धाराओं को लोगों के सामने प्रस्तुत किया। इस फिल्म पर शुरूआती समय में प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन बाद में 1952 में जब इसे रिलीज किया गया तो उसके बाद यह फिल्म बहुत बड़ी हिट रही। लेकिन रिलीज होने के बाद भी इस फिल्म ने विवादो से अपना नाता नहीं छोड़ा। रूढि़वादी हिन्दुओं ने इस फिल्म का बहुत विरोध किया। क्योंकि इस फिल्म में कुछ ऐसे तत्व भी शामिल किए गए थे जो ब्राह्मणवाद की आलोचना कर रहे थे। 1950 में भी करूणानिधि के दो नाटकों पर प्रतिबन्ध लगाया गया था।
M. Karunanidhi Political Career In Hindi
राजनीति में अपना कदम रखने की कहानी करूणानिधि की कहानी बहुत ही रोचक है। मात्र 14 वर्ष की उम्र में जस्टिस पार्टी के अलगिरि स्वामी के एक भाषण से प्रभावित होकर इन्होंने राजनीति में प्रवेश लिया और हिन्दू विरोधी आंदोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने स्थानीय युवको को एक साथ इकट्ठा करके एक संगठन की स्थापना की। बाद में उन्होंने तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम नामक एक छात्र संगठन की स्थापना करी क्योंकि द्रविड़ आंदोलन का सबसे पहला छात्र विंग था। हिन्दी विरोधी विरोधप्रदर्शन में करूणानिधि की हिस्सेदारी तमिल राजनीति में उनकी जड़ मजबूत करने का काम कर रही थी। जिस समय यह सब चल रहा था उस समय इस औद्योगिक नगर को उत्तर भारत के एक बेहद शक्तिशाली मुगल के नाम से डालमियापुरम कहा जाता था। हिन्दी विरोधी विरोधप्रदर्शन के चलते करूणानिधि और इनके सदस्यों ने रेलवे स्टेशन से हिन्दी नाम को मिटाना शुरू कर दिया और खुद रेलगाडि़यों के मार्ग को अवरूद्ध करने के लिए रेलवेपटरी पर लेट गए। इस घटनाक्रम के चलते दो लोगों की मृत्यु हो गयी और करूणानिधि को गिरफ्तार कर लिया गया।
M. Karunanidhi C M Journery :-
एम करूणानिधि को तिरूचिरापल्ली जिले के कुलिथालाई विधानसभा से सन् 1957 में पहली बार तमिलनाडु विधानसभा के लिए चुना गया। और इस प्रकार 1961 में डीएमके के कोषाध्यक्ष, 1967 में सार्वजनिक कार्य मंत्री बने। जब 1959 में डीएमके के संस्थापक अन्नादुरई की मृत्यु हो गई तब करूणानिधि को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बना दिया गया। अपनी चिर प्रतिद्वन्दी जयललिता के हारने के बाद उन्होंने 13 मई 2006 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद को संभाला। वे अभी तमिलनाडु की विधानसभा के सेन्ट्रल चेन्नई के चेपाक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।