Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh Poem Lyrics In Hindi : Amjad Islam Amjad

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Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh Poem Lyrics In Hindi : Amjad Islam Amjad :- आज हम आपसे Amjad Islam Amjad जी की Very Sad Poem Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja Share कर रहे हैं |

कहाँ आके रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं,
दिले-बेख़बर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में, तेरी आस तेरे गुमान में
सबा कह गयी मेरे कान में मेरे साथ आ उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

किसी आँख में नहीं अश्के-ग़म तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम
तुझे ज़िन्दगी ने भुला दिया तू भी मुस्कुरा उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

क्यूँ अटा हुआ है गुबार में ग़मे-ज़िंदगी के फिशार में
वो जो दर्द था तेरे वक्त में सो हो गया उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

न वो आँख ही तेरी आँख थी न वो ख़्वाब ही तेरा ख़्वाब था
दिले मुन्तज़िर तो ये किसलिए है तेरा जागना उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

ये जो रात दिन का है खेल सा उसे देख इसपे यकीं न कर
नहीं अक्स कोई भी मुस्तक़िल सरे-आईना उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

जो बिसाते-जाँ ही उलट गया, वो जो रास्ते से पलट गया,
उसे रोकने से हुसूल क्या? उसे भूल जा…उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

तो ये किसलिए शबे-हिज्र के उसे हर सितारे में देखना
वो फ़लक कि जिसपे मिले थे हम कोई और था उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

तुझे चाँद बन के मिला था जो, तेरे साहिलों पे खिला था जो
वो था एक दरिया विसाल का, सो उतर गया उसे भूल जा।

जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।

Jo Mil Gaya Use Yaad Rakh , Jo Nahi Mila Use Bhool Ja

Jo Na Mil Saka Usay Bhool Ja Poetry Lyrics

kahan aake rukne the raaste
kahan mod tha usse bhool tha
wo jo mil gaya usse yaad rakh
jo nahi mila usse bhool ja

wo tere naseeb ki bareishein
kisi aur chchat pe baras gayin
dil e bekhabar meri baat sun
usse bhool ja usse bhool ja

main toh gum tha tere hi dhyan mein
teri aas tere ghumaan mein
saba keh gayi mere kaan mein
mere saath aa usse bhool ja

kisi aankh mein nahi ashq e gham
tere baad kuch bhi nahin hai kam
tujhe zindagi ne bhula diya
tu bhi muskura usse bhool ja

na woh ankh hi teri ankh thi
na wo khwaab hi tera khwaab tha
dil e muntazir toh ye kis liye
tera jaagna usse bhool ja

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Mai Afzal Ki Shakh Se Tuta Hua Lyrics : Amjad Islam Amjad

मैं अज़ल की शाख से टूटा हुआ
 मैं अज़ल की शाख से टूटा हुआ
फिर रहा हूँ आज तक भटका हुआदेखता रहता है मुझको रात दिन
कोई अपने तख़्त पर बैठा हुआचाँद तारे दूर पीछे रह गए
मैं कहाँ पर आ गया उड़ता हुआ

बंद खिड़की से हवा आती रही
एक शीशा था कहीं टूटा हुआ

खिडकियों में, कागजों में, मेज़ पर
सारे कमरे में है वो फैला हुआ

अपने माजी का इक समुंदर चाहिए
इक खजाना है यहाँ डूबा हुआ

दोस्तों ने कुछ सबक ऐसे दिए
अपने साये से भी हूँ सहमा हुआ

किसी कि आहट आते आते रुक गयी
किस ने मेरा साँस है रोका हुआ

Na Sikhayte Na Gila Kare Lyrics : Amjad Islam Amjad

न शिकायतें न गिला करे
न शिकायतें न गिला करे
कोई ऐसा शख्स हुआ करेजो मेरे लिए ही सजा करे
मुझ ही से बातें किया करेकभी रोये जाये वो बेपनाह
कभी बेतहाशा उदास हो

कभी चुपके चुपके दबे क़दम
मेरे पीछे आ कर हंसा करे

मेरी कुर्बतें, मेरी चाहतें
कोई याद करे क़दम क़दम

मैं तवील सफ़र में हूँ अगर
मेरी वापसी की दुआ करे

Na shikayaten na gila kare
koi aisa shakhs hua kare

jo mere liye hi saja kare
mujh hi se baten kiya kare

kabhi roye jaye wo bepanah
kabhi betahasha udas ho

kabhi chupke chupke dabe qadam
mere piche aa kar hansa kare

meri qurbaten meri chahaten
koi yaad kare qadam qadam

main tavil safar mein hun agar
meri vapasi ke dua kare

Zindgi Ke Mele Me Lyrics : Amjad Islam Amjad

ज़िंदगी के मेले में
ज़िंदगी के मेले में
ख्वाहिशों के रेले में
तुम से क्या कहें जाना
इस क़दर झमेले में
वक़्त की रवानी है
बख्त की गिरानी है
सख्त बेज़मीनी है
सख्त लामकानी है
हिज्र के समंदर में
तख़्त और तख्ते की
एक ही कहानी है
तुम को जो सुनानी हैबात गो ज़रा सी है
बात उम्र भर की है
उम्र भर की बातें कब
दो घड़ी में होती हैं
दर्द के समंदर में
अनगिनत जजीरें हैं
बेशुमार मोटी हैं
आँख के दरीचे में
तुम ने जो सजाया था
बात उस दिए की है
बात उस गिले की है
जो लहू की खिलवत में
चोर बन के आता है
लफ्ज़ के फ़ासीलों पर
टूट टूट जाता हैज़िंदगी से लम्बी है
बात रत-जगे की है
रास्ते में कैसे हो
बात तखालिये की है
तखालिये की बातों में
गुफ्तगू इजाफी है
प्यार करने वालों को
इक निगाह काफी है
हो सके तो सुन जाओ
एक दिन अकेले में
तुम से क्या कहें जानां
इस क़दर झमेले में

zindagii ke mele men
Khvaahishon ke rele men
tum se kyaa kahen jaanaa
is qadar jhamele men
vaqt kii ravaanii hai
baKht kii giraanii hai
saKht bezamiinii hai
saKht laamakaanii hai
hijr ke samandar men
taKht aur taKhte kii
ek hii kahaanii hai
tum ko jo sunaanii hai

baat go zaraa sii hai
baat umr bhar kii hai
umr bhar kii baaten kab
do ghadii men hotii hain
dard ke samandar men
anginat jaziiren hain
beshumaar motii hain
aankh ke dariiche men
tum ne jo sajaayaa thaa
baat us diye kii hai
baat us gile kii hai
jo lahuu kii Khilvat men
chor ban ke aataa hai
lafz ke fasiilon par
Tuut tuut jaataa hai

zindagii se lambii hai
baat rat-jage kii hai
raaste men kaise ho
baat taKhaliye kii hai
taKhaliye kii baaton men
guftaguu izaafii hai
pyaar karane vaalon ko
ik nigaah kaafii hai
ho sake to sun jaao
ek din akele men
tum se kyaa kahen jaanaaN
is qadar jhamele men

मोहब्बत क्या है? 
मुहब्बत ऐसा नगमा है
ज़रा भी झोल हो लय में
तो सुर कायम नहीं होतामुहब्बत ऐसा शोला है
हवा जैसी भी चलती हो
कभी मद्धम नहीं होतामुहब्बत ऐसा रिश्ता है
के जिसमे बंधने वालों के
दिलों में गम नहीं होता

मुहब्बत ऐसा पौधा है
जो तब भी सब्ज़ रहता है
के जब मौसम नहीं होता

मुहब्बत ऐसा रास्ता  है
अगर पैरों में लर्जिश हो
तो ये महरम नहीं होता

मुहब्बत ऐसा दरिया है
के बारिश रूठ भी जाये
तो पानी कम नहीं होता

गुज़रे हैं तेरे बाद भी कुछ लोग इधर से
 गुज़रे हैं तेरे बाद भी कुछ लोग इधर से
लेकिन तेरी खुशबू न गई राहगुज़र सेक्यूँ डूबती बुझती हुई आँखों में है रौशनी
रातों को शिकायत है तो इतनी है सहर सेलरज़ा था बदन उसका मेरे हाथ से छू कर
देखा था मुझे उसने अजब मस्त नज़र से

क्या ठान के निकला था, कहाँ आ के पड़ा है
पूछे तो कोई इस दिल-ए-शर्मिंदा सफ़र से

आया है बहुत देर में वो शख्स पर उस को
जज़्बात की इस भीड़ में देखूँ मैं किधर से

हम रिजक-ए-गुज़रगाह तो खुश्क थे लेकिन
वोह लोग जो निकले थे हवा देख के घर से

ऐसा तो नहीं मेरी तरह सर्व-ए-लब-ए-जू
क़दमों पे खड़ा हो किसी उफ्ताद के डर से

दिन थे के हमें शहर-ए-बदन तक की खबर थी
और अब नहीं आगाह तेरे खैर खबर से

अमजद न क़दम रोक के वोह दूर की मंजिल
निकलेगी किसी रोज़ इसी गर्द-ए-सफ़र से

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