Gir Jana Mera Ant Nahi Lyrics In Hindi : Shubham Shyam

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Gir Jana Mera Ant Nahi Lyrics In Hindi : Shubham Shyam :- दोस्तों , आये दिन हम आपसे लगातार Youtube पर सबसे पसंद की जाने वाली hindi Poetry को हम आपके सामने रखते आयें है , आज जी हम आपसे हिंदी कविता Share कर रहे हैं , जिसने मुझे बहुत ज्यादा Motivate किया है , आशा है आपके अंदर भी यह हिम्मत और उत्साह भर देगी | आज की कविता को  Shubham Shyam जी ने Youtube पर share किया था | आज हम आपसे Hindi Motivational Poem “Gir Jana Mera Ant Nahi” नामक कविता को Lyrics In Hindi में पेश करेंगे !!

जब हमारे ही बीच से निकला कोई अपने संघर्ष और मेहनत के बूते मुंबई को अपना परिचय ‘गिर जाना मेरा अंत नहीं’ कह कर देता है तो दुष्यंत की ये पंक्तियाँ बरबस ही ज़हन में गूंज उठती है-

कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं होता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।

हिंदी लिट्रेरी एसोसिएशन इस ख़ूबसूरत शिल्प के लिए Shubham Shyam को अनेक शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ देता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपके जिस अंदाज़ पर VIT परिसर झूमता था उस अंदाज़ की दुनिया दीवानी हो जाए।

Gir Jana Mera Ant Nahi Lyrics In Hindi : Shubham Shyam

की पर में परवाज की शक्ति है मन में आगाज की शक्ति है ,

पर में परवाज की शक्ति है मन में आगाज की शक्ति है ,

जो चोच में तिनका डाले डाली पर दो आँखे तकती है !

वो परख रहीं हैं ,

तूफा के बाजू में कितनी ताकत है !

वो परख रहीं हैं , तूफा के बाजू में कितनी ताकत है !

वो देख रहीं हैं दूर दूर तक ,

नाम मात्र की राहत है !

पैरों से धक्का डाली पर , पंखो से हवा धकेली है !

पैरों से धक्का डाली पर , पंखो से हवा धकेली है !

वो आसमान में तूफानों से लड़ती जान अकेली है !

पर लगी सांस जब फूलने तो ,

तोह तूफ़ान ने मौका लपक लिया |

पर लगी सांस जब फूलने तो ,तोह तूफ़ान ने मौका लपक लिया |

आसमान की उम्मीदों को ला धरती पर पटक दिया ,

पर जाड़ रही है धुल परों से ,

रगों में गज़ब रवानी है !

पर जाड़ रही है धुल परों से ,रगों में गज़ब रवानी है !

चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललक पुरानी है !

तब रखो घोषणा अपनी अपनी अपने अपने कंठो में ,

तब रखो घोषणा अपनी अपनी अपने अपने कंठो में ,

गलत करूँगा साबित सबको , यहाँ कोई अरिहंत नहीं !

गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत !!

Gir Jana Mera Ant Nahi, Gir Jana Mera Ant Nahi !!

मुखड़े पर धुल लगी माना ,

माथा फूटा माना लेकिन !

मुखड़े पर धुल लगी माना ,माथा फूटा माना लेकिन !

गालों पर थप्पड़ खाएं हैं ,

जबड़ा टूटा माना लेकिन !

माना की आंते ऐंठ गयी ,

पसलियों से लहूँ निकलता है !

घिस गया है कंकड़ में घुटना ,

और मिर्च सरीखे जलता है !

माना की साँसे उखड़ रही ,

और धक्का लगता धडकन से

लो मान लिया की काँप गया है ,

पूर्ण बदन अंतर्मन से !

पर आँखों से अंगारे ,

मै नथुनों से तूफा लाऊंगा !

पर आँखों से अंगारे , मै नथुनों से तूफा लाऊंगा !

मै गिर गिर कर भी धरती पर ,

हर बार खड़ा हो जाऊंगा !

मुट्ठी में भींच लिया तारा,

तुम नगर में ढोल पिटा दो जी ,

मुट्ठी में भींच लिया तारा,तुम नगर में ढोल पिटा दो जी !

कि अँधेरे हो लाख घने पर ,

अँधेरे अनंत नहीं ,

गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं !!

Gir Jana Mera Ant Nahi, Gir Jana Mera Ant Nahi !!

Gir Jana Mera Ant Nahi Video :

दोस्तों , अगर आपको हमारी Posts पसंद आ रही हो , तो भारत की शान की मेहनत को आप Share करके सफल बनाते रहे , हम लगातार आपके सामने नयी नयी और खुबसूरत रचनाओ को आपके समक्ष लाने का वादा करते है |

Gir Jana Mera Ant Nahi !!

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