Chanakya Neeti On Life In Hindi | चाणक्य नीति : जीवन पर कथन
Chanakya Neeti On Life In Hindi : आज हम आपसे Chankya Neeti में Life पर कहे गए सभी श्लोंको का hindi में अर्थ बतायेंगे | Chankya के बताये गए ये नियम आपके लिए रामबाण सिद्ध होंगे |
Hy Friends , आज हम आपसे Chanakya Neeti को Hindi Language में Share करने जा रहे हैं | Chankya ने अपनी Chankya Neeti में Love, [Dushman],Student,Life,Woman,Dharma,Knoweldge आदि Topics को बहुत ही अच्छी प्रकार से हमें बताने की कोशिश की है , अगर हम चाणक्यकी नीतियों का पालन करे तो हमारे सफल होने की सम्भावना बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है , क्योंकि इन्ही नीतियों के कारण चाणक्य ने मगध के राजा घनानंद को पराजित किया था | चाणक्य ने इन नीतियों का संस्कृत भाषा ने वर्णन किया है जिसका HINDI रूपान्तरण हम यहाँ आपको उपलब्ध करा रहे हैं तो चलिए पढ़ते हैं :Chanakya Neeti Life In Hindi
Chanakya Neeti In Hindi : Life
आज हमारे समाज में लोक सूक्तियों का चलन आम हो गया है। जैसा कि हम अपने दैनिक जीवन में इस प्रकार की सूक्तियॉं प्रयोग करते है।
आँखों के अन्धे नाम नैन सुख।
मान न मान मैं तेरा मेहमान।
इस प्रकार की सूक्तियों को लेकर आचार्य चाणक्य ने भी कुछ ज्ञान की बातें कहीं है। किन्तु उनकी सूक्तियों का कुछ अनोखा ही रंग है, अन्दाज भी निराला है।
आप इन सूक्तियों को पढ़कर अवश्य ही यह महसूस करेंगे कि आपको एक नया ज्ञान प्राप्त हुआ।
- पागल शिष्य को उपदेश देना।
- लड़की व स्त्री का पालन-पोषण करना। दु:खी लोगों से मेलजोल रखना।
इन सब चीजों से बुद्धिमान दु:खी रहते हैं। ऐसे लोगों के साथ यदि सुखी लोग भी बैठते हो तो वे भी दु:खी हो जाते है।
- सेवा का अवसर आने पर सेवकों को पता चलता है। रिश्तेदारों के प्यार का पता दु:ख के समय लगता है। दोस्ती का पता भी संकट की घड़ी में ही लगता है।
- पत्नी के प्यार की परीक्षा भी उस समय ली जाती है जब आदमी निर्धन हो जाता है।
- जो दु:ख और गरीबी में साथ देते हैं, उन्हें ही अपना सच्चा साथी मानना चाहिए।
- जो लोग मिली हुई चीज को छोड़कर उस चीज के पीछे भागते हैं जिसके मिलने की कोई आशा ही न हो, ऐसे लोग मिली हुई चीज को भी खो देते हैं। ऐसे लोगों को देखकर ही कहा गया कि-
- आधी छोड़ सारी को दौड़ा, आधी भी न रहा।
- अच्छा पुत्र वही होता है जो मॉं बाप की आज्ञा का पालन करें। वही पिता योग्य और अच्छा है, जो अपनी सन्तान का पालन-पोषण अच्छे ढ़ंग से करे।
- सच्चा दोस्त वही होता है, जो मित्र से विश्वासघात न करें।
- नदियों, शस्त्रधारियों, नख सींग वाले पशु, स्त्रियों और राजदरबार के लोगों का विश्वास करना घातक है। नदी कभी भी लहर पाकर जल ले सकती है, शस्त्रधारी कभी भी हमला कर सकता है, नख सींग वाले पशु कभी भी सींग मारकर जख्मी कर सकते हैं, स्त्रियॉं कभी भी झूठा लांछन लगा सकती हैं, राज घराने के लोग जरा-जरा सी बात पर बिगड़ जाते हैं, इसलिए इनसे कभी भी खतरा पैदा हो सकता है।
- इन लोगों की दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही बुरी है।
- बढि़या स्वादिष्ट खाने और हजम करने की शक्ति देर तक संभोग करने की शक्ति। सुंदर पत्नी और दान देने की क्षमता साधारण बात नहीं है। इन सब चीजों को पाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है।
- पत्नी वही अच्छी होती है, जो संभोग के समय पति को आनन्द दे।
- यदि ऐसे गुण आपको उन प्राणियों में न मिले तो उनसे भूलकर भी मित्रता न करे। न ही उनकी मित्रता सफल हो सकती है।
- पत्नी की मृत्यु का दु:ख, निकटतम रिश्तेदार द्वारा दिया दु:ख, कर्ज का लोभ, बुरे राजा की सेवा, इन दु:खों से प्राणी का शरीर अपने आप ही जल जाता है।
- हर पहाड़ के अन्दर हीरे नहीं होते।
- हर हाथी के मस्तक पर मुक्ता नहीं होती। सब स्थानों पर अच्छे आदमी नहीं मिलते।
- हर स्थान पर चन्दन नहीं होता।
- हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती।
- यह सारी दुनिया विवादों से घिरी हुई है, इसलिए अपने में निर्णय लेने से पहले स्वयं ही सोचिए।
- दक्षिणा लेने के पश्चात ब्राह्मण राजमान को, विद्या प्राप्त करने के बाद शिष्य गुरू को छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे ही यह संसार का नियम है हर जीव-जन्तु, मनुष्य अपना काम होने पर छोड़ जाता है।
- नदी के किनारे खड़े पेड़ कभी भी टूट कर पानी में बह जाते हैं। दूसरे पुरूष को जान लेने वाली पत्नी कभी ठुकराई जा सकती है।
- बिना मन्त्री का राजा कभी भी राज-पाठ खो सकता है।
- किसी प्राणी के वंश का पता उसके व्यवहार से ही लग जाता है। ऊंचे वंश के लोगों की बोलचाल में सभ्यता मिलेगी, किन्तु छोटी जाति के लोग भले ही बड़े हो जाएं, उनमें वह सभ्यता नहीं आ सकती।
- ब्राह्मण केवल विद्या के सहारे ही पण्डित कहलाता है।
- राजा अपनी सेना के सिर पर ही बहादुर होता है।
- बनिया अपनी कारोबारी बुद्धि से ही धन कमाता है।
- इस संसार में कौन सा ऐसा प्राणी है, जिसमें कोई दोष न हो।
- इस दुनिया में कौन सा मानव है, जिसे कोई दु:ख न हो। यह बात मत भूलों कि सदा कोई सुखी और न ही सदा कोई दु:खी रहता है। जीवन तो धूप-छांव है।
- हर वैश्या गरीब का प्यार छोड़ देती है।
- प्रजा कभी भी उस राजा का साथ नहीं देती, जो शक्तिशाली नहीं।
- पक्षी कभी उस पेड़ पर नही बैठते, जिस पर फल नहीं।
- बुरे इंसान और सांप में कौन अच्छा है। इस प्रश्न का उत्तर यह है कि सांप तो केवल समय आने पर ही काटता है किन्तु बुरे लोग वे हर पल पर बुराई करते हैं। इसलिए बुरा इंसान तो हर इंसान तो हर समय बुरा करके सांप से भी भयंकर हो जाता है।
- सागर सबसे महान है। इस पर भी उसमें तूफान आते है। अपनी सारी सीमायें तोड़कर विनाश कर देता है। किन्तु साधु और ज्ञानी लोग कभी अपनी सीमायें नहीं तोड़ते।
- प्राणी भले ही कितने भी सुन्दर क्यों न हो, भले ही उसका जन्म कितने बड़े घराने में क्यों न हो, भले ही पढ़ा लिखा नहीं हो तो उसकी हालत उस फूल जैसी होती है जो देखने में सुन्दर परन्तु गन्ध से वंचित होता है।
- कोयल का रंग काला होता है, किन्तु उसकी आवाज कितनी सुरीली होती है।
- इसी प्रकार से एक सुन्दर स्त्री की सुन्दरता उसके चेहरे से नहीं बल्कि उसके पति के प्यार से ही जानी जा सकती है। जो औरत अपने पति का मन जीत ले सुन्दर वहीं होती है।
- अपने परिवार की रक्षा के लिए किसी एक को कुर्बान कर देना चाहिए।
- देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देना चाहिए।
- आत्मरक्षा के लिए अपने आप को भी कुर्बान करने मे संकोच नहीं करना चाहिए।
- अपनी ताकत से आदमी कठिन से कठिन काम कर सकता है। किन्तु उसमें विश्वास होना चाहिए।
- व्यापारी के लिए कोई भी देश दूर नहीं होता। वह अपने कारोबार के लिए कहीं भी जा सकता है।
- विद्वान के लिए इस संसार से सब मार्ग खुले रहते हैं। वे लोग कहीं भी जाये हर देश उनका आदर करता है।
- जिस तरह से मछली अपनी देख-रेख से, कछुआ ध्यान से, पछी स्पर्श से, अपने-2 बच्चों को पाल लेते है। उसी प्रकार से बुद्धिमानों के साथ रहकर मूर्ख लोग पलते है।
- शिक्षा कामधेनु गाय के समान है, इससे ही इन्सान को बुद्धि प्राप्त होती है। शिक्षा के बिना इन्सान और जानवर बराबर होते हैं। शिक्षा तो प्राणी के लिए ऐसा धन है जिसे न कोई चुरा सकता है, न कोई छीन सकता है।
- आयु, कर्म, धन, विद्या और मृत्यु यह पाँचों बातें उसी समय प्राणी के भाग्य में लिख दी जाती है। जब वह गर्भ में होता है।
- गन्दे कपड़ों में रहने वाला, घटिया और नीच लोगों की सेवा करने वाला, घटिया बासी भोजन करने वाला, लड़ाकू पत्नी जो पति से हर समय झगड़ा करती रहे , विधवा औरत। यह सब चीजें पुरूष के लिए बहुत हानिकारक हैं। इनसे सदा बचकर रहें।
- यह संसार दु:खों का घर है। हर प्राणी चिन्ता में डूबा रहता है। शान्ति के लिए साधु, सन्तान, पत्नी की शरण में जाना चाहिए। थका हारा इंसान इनके पास जाकर तो अपने दु:ख दूर कर सकता है।
- तप भक्ति पूजा केवल एकान्त में ही करनी चाहिए।
- विद्यार्थियों को इकट्ठे बैठकर पढ़ना चाहिए।
- गीत गाने वाले मिलकर गायें तो गाना अच्छा लगता है।
- मिलकर खेती करने से फसल अच्छी होती है।
- इकट्ठे मिलकर सफर करने में थकावट नहीं होती। बहुत सारे लोग यदि मिलकर शत्रु से युद्ध करें तो विजय उन्हीं की होगी।
राजा की आज्ञा, कन्यादान,पण्डित के बोल।
- राजा एक बार हुक्म देने के पश्चात उसका पालन चाहता है। उसके आदेशों का पालन न करने वाले को सजा मिलती है।
- कन्यादान केवल एक बार होता है उसके पश्चात लड़की पराई हो जाती है।
- जिस घर में बच्चे न हों वह घर सूना लगता है। पति पत्नी भी उदास रहते हैं।
- जिसका कोई भाई न हो वह प्राणी अकेला दु:खी रहता है। एकांत उसे सांप की भांति काटता है।
- मूर्ख का दिल और दिमाग शून्य होता है गरीब बेचारे की तो हर चीज शून्य होती है। गरीब होना ही पाप है और धनवान होना जीवन का सुनहरा पन है।
- सोंने की पहचान घिसकर, काटकर, पीसकर तथा गर्म करके की जाती है और मनुष्य की परीक्षा, त्याग, गुण शील के आधार से की जाती है, इसलिए हर मनुष्य को इन गुणों को देखकर उसके बारे में निर्णय करें।
- अनुभव हीन आदमी के लिए तो शस्त्र केवल एक जहर के समान है।
- बुरा खाना जहर बन जाता है।
- पागल जानवरों की सभा भी तो जहर जैसी होती है। क्योंकि वहां से बुद्धिमान लोग कुछ पाने की बजाय खोकर ही आते है।
- धर्म वही है जिससे दवा की शिक्षा मिले।
- जिस धर्म में दया की शिक्षा न मिले उसे छोड़ देना चाहिए। बात-बात पर झगड़ा करने वाली औरत को तो घर से निकाल देना चाहिए।
- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य सबका गुरू आग है।
- ब्राह्मण चारों वर्णो का गुरू है। स्त्री का गुरू उसका पति है। इसलिए मेहमान को भगवान का रूप कहा गया है।
- जो लोग इस संसार से कोई वास्ता नहीं रखते, ऐसे लोगों को किसी भी विषय का अधिकार नहीं।
- जिस शरीर में वासना नहीं उसे किसी प्रकार से श्रृंगार का अधिकार नहीं।
- विद्वान बुद्धिमान व्यक्ति कभी अच्छा भाषण नहीं कर सकता।
- सुस्त आदमी से विद्या सदा दूर भागती है।
- दूसरे के हाथों में गया धन कभी वापस नहीं आता।
- सेनापति के बिना सेना बेकार होती है जिस खेत में बीज न डाला जाए उसमें फसल कहां से पैदा होगी।
- विद्या निरन्तर अभ्यास करने से आती है।
- दान देने से दरिद्रता दूर होती है। जो लोग दूसरों के दु:ख दूर करते हैं भगवान उनके दु:ख दूर करता है।
- बुद्धि सदा अज्ञानता को नष्ट करती है। बुद्धिमान कभी भूखा नहीं मरता।
- धन में धर्म की रक्षा होती है।
- खाने पीने और योग से विद्या की रक्षा होती है।
- शक्ति से राज की रक्षा होती है।
- यदि पत्नी अच्छी पढ़ी-लिखी, गुणवान हो तो वह सारे घर की रक्षा करती है।
- वासना इस संसार का सबसे बड़ा रोग है। यह इंसान के शरीर को अन्दर ही अन्दर खोखला कर देती है, इससे बुद्धि भ्रष्ट होती है।
- क्रोध इस संसार की सबसे भयंकर आग है। यह इंसान का विनाश करती है।
- ज्ञान जिस प्राणी के पास होगा, वह सदा सुखी रहेगा।
- बुद्धिमान ज्ञानी सदा स्वर्ग पाने की आशा करते है।
- चोर को जीवन बहुत प्यारा होता है।
- भोग विलासी पुरूष जहां कभी सुन्दर औरत को देखते हैं, वरन उसी के पीछे भागने लगते हैं। ज्ञानी और बुद्धिमान लोगों के लिए सुन्दरता एक तिनके के समान है।
- सागर के लिए वर्षा होना न होना बराबर है।
- जिसका पेट भरा हो, उसके लिए बढि़या से बढि़या भोजन बेकार है।
- सूर्य के प्रकाश के सामने दीपक क्या करेगा। अमीर आदमी को दान देने से क्या लाभ। उसके सामने धन की कोई कीमत नहीं होती। दान भी उसे दो जो गरीब हो।
- निर्धन सदा धन की तलाश में भटकते हैं, उनके मन में सदा अमीर बनने की इच्छा रहती है।
- इस संसार का हर प्राणी स्वर्ग चाहता है, वह सदा स्वर्ग के सपने देखता है। इसे हम इच्छा कहते है। यह सारा संसार इच्छाओं का दास बनकर रह गया है।
- पुरूष जाति में नाई, पक्षियों में कौवा, जानवरों में गीदड़ स्त्रियों से मालन, यह सब लोग जरूरत से अधिक ही चालाक होते है। इनसे सदा बचों।
- जो राजा अपनी प्रजा का दु:ख सुख जानने के लिए रातों को घूमते है। जो ब्राह्मण पूजा पाठ करते है।
- ऐसे लोगों की इज्जत करनी चाहिए। ऐसे लोग पूज्य होते हैं। उनके गुण ही उन्हें अच्छाई की ओर ले जाते है।
- औरत को सदा गृह कार्य में लगे रहना चाहिए। इसलिए उसे गृहणी कहा गया है। वही औरत आदर और सत्कार योग्य होती है, जो अपने घर में रहकर पति की सेवा करें। बच्चों का पालन पोषण करती है।
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