Chanakya Neeti On Karma In Hindi : चाणक्य नीति : कर्म पर कथन
Chanakya Neeti On karma In Hindi : आज हम आपसे Chankya Neeti में Karma [कर्म] पर कहे गए सभी श्लोंको का hindi में अर्थ बतायेंगे | Chankya के बताये गए ये नियम आपके लिए रामबाण सिद्ध होंगे |
Hy Friends , आज हम आपसे Chanakya Neeti को Hindi Language में Share करने जा रहे हैं | Chankya ने अपनी Chankya Neeti में Love, [Dushman],Student,Life,Woman,Dharma,Knoweldge आदि Topics को बहुत ही अच्छी प्रकार से हमें बताने की कोशिश की है , अगर हम चाणक्य की नीतियों का पालन करे तो हमारे सफल होने की सम्भावना बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है , क्योंकि इन्ही नीतियों के कारण चाणक्य ने मगध के राजा घनानंद को पराजित किया था | चाणक्य ने इन नीतियों का संस्कृत भाषा ने वर्णन किया है जिसका HINDI रूपान्तरण हम यहाँ आपको उपलब्ध करा रहे हैं तो चलिए पढ़ते हैं :Chanakya Neeti Karma In Hindi
Chanakya Neeti In Hindi : Karma
सूक्तियाँ-
आंखों से अन्धे।
अंधा कौन होता है।
- कुछ प्राणी तो जन्म से ही अन्धे होते हैं, ऐसे लोग आंखों से नहीं देख सकते।
- कुछ लोग काम भावना का शिकार होकर इतने अंधे हो जाते हैं कि उन्हें कुछ भी नजर नहीं आता।
- कुछ लोभ में अंधे हो जाते हैं कि उन्हें किसी मानव का पड़ा शव तक नजर नहीं आता।
- सावन के अंधे को इस संसार में चारों ओर हरा ही हरा नजर आता है।
- इसी तरह कुछ लोग नशें में भी अंधे हो जाते हैं।
करे कोई भरे कोई :-
- राजा अपने राज्य में दूसरों के द्वारा किए गए पापों की सजा पाता है।
- पुरोहित राजा द्वारा किए गए पापों की सजा पाता है।
- शिष्य अपने गुरू के पापों की सजा पाता है।
- इसी प्रकार से पाप करने वाला कोई और सजा पाने वाला कोई और होता है।
वश में करना :-
- जो काम आप बड़ी से बड़ी रकम खर्च करके भी नहीं कर सकते, वह किसी को अपने वश में करके कर सकते हैं जैसा कि-
- अहंकारी को हाथ जोड़कर। पागल को अपनी मनमानी करने देकर। पण्डित के आगे सत्य बोलकर। विद्वान का दिल जीतकर।
- इसी तरह से आप अपना काम पूरा कर सकते हैं। साथ ही लड़ाई झगड़े से भी बच सकते हैं किसी को वश में करना भी एक कला है।
बुरा करो न भला :-
- बुरे लोग यदि इस दुनिया में न भी हो तो अच्छा है।
- बुरा आदमी इस संसार में न होगा तो यह संसार बुराईयों से बचा रहेगा।
- बुरे राजा से राजा का न होना अच्छा।
- बुरे मित्र से तो अच्छा है मित्र नहीं हो।
- इसलिए अपने लिए सदा अच्छे लोगों की तलाश करें बुरें लोगों से दूर रहें।
भला कैसे होगा :-
- बुरे राजा के राज में न तो जनता सुखी रहेगी। बुरे मित्र से कभी भी आशा न रखो। बुरी औरत से कभी भला नहीं होगा।
- बुरे शिष्य कभी गुरू का भला नहीं कर सकते, ऐसे लोगों पर शिक्षा का कोई असर नहीं होता। उन्हें शिक्षा देना तो चिकने घड़े पर पानी डालना है।
इनके बीच मत जाओ :-
- जो ब्राह्मण जहां कभी भी खड़े हो उनके बीच मत जाओं क्योंकि ब्राह्मण का क्रोध बहुत बुरा होता है।
- पति पत्नी जब भी कहीं बैठे हो तो उनके बीच मत जाओं क्योंकि वह अपने मन की बात कर रहे होते हैं, उनका अपना दु:ख सुख होता है, जो प्रेम संसार उन्होंने बसाया होता है वह किसी तीसरे के आने से उजड़ जाता है। हल और बैल के बीच में से गुजरने पर चोट लग जाती है।
- इसी प्रकार से बुद्धिमान लोगों की सलाह दी जाती है कि वे ऊपर लिखी चीजों के बीच में मत जाए।
बुरा है :-
- आग, ब्राह्मण, गरू, कुंवारी कन्या, बालक, वृद्धा को कभी भी पॉंव से नहीं छूना चाहिए। वह सब पूज्य होते हैं।
- आग को पॉंव छूने से पॉंव जल जाते है। ब्राह्मण और गुरू का क्रोध बहुत बुरा होता है उनके आदर से ज्ञान मिलता है।
बुरे से बचो :-
- कुंवारी कन्या और बालक भगवान का रूप माने गए हैं। हाथी को देखकर हजार हाथ दूर रहो। घोड़े से सौ हाथ दूर रहो। सींग वाले पशु को देखकर दस हाथ दूर रहो। किन्तु बुरे आदमी को देखकर आप वहां से केवल भाग ही न लो, बल्कि उस शहर को ही छोड़कर भाग जायें तो अधिक अच्छा है बुरा आदमी सदा नुकसान ही पहुंचाता है। उससे भला की आशा न रखें।
- हाथी को अंकुश से, घोड़े को चाबुक से, सींग वाले पशु को डंडे से, दुर्जन को तलवार से दण्ड देना चाहिए। प्रत्येक के साथ उनके व्यवहार के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए।
भाग्य :-
- एक पानी की बूंद गर्म तवे पर आकर छन-छन की आवाज करती है, फिर भाप बनकर उड़ जाती है।
- और एक पानी की बूंद कमल के पत्ते पर पड़कर दोपहर तक मोती की भांति चमकती रही और फिर भाप बनकर उड़ गई।
- एक बूंद मछली के मुंह में पड़ी तो मोती बन गई।
- इस तरह एक ही पानी की तीन बूंदों के तीन रूप अलग अलग नजर आते हैं। इसे आप भाग्य के खेल ही तो कहेंगे।
धन का कमाल :-
- धनवान को मित्र अपने आप ही मिल जाते हैं। धन मित्रता को जन्म देता है। धनवान के सब रिश्तेदार हैं।
- सत्य बात तो यह है कि जिसके पास धन है वहीं सच्चा और इज्जतदार आदमी माना जाता है।
इन्सान और देवता :-
- दान पुण्य की आदत, ब्राह्मण की सेवा, मीठे बोल बोलना, भगवान की पूजा। जिस प्राणी में यह सब गुण हों तो वह देवता का ही रूप होता है।
- हर मनुष्य को चाहिए कि वह इन चारों गुणों को अपने पास रखें।
बड़ा क्या :-
- घटिया लोग सदा धन के लोभ में अन्धे रहते हैं।
- मध्य वर्ग के लोग धन के साथ-साथ अपनी इज्जत भी चाहते हैं।
- उत्तम लोगों को केवल आदर सत्कार की भूख होती है।
- यह बात मत भूलें कि धन से कहॉं अधिक इन्सान की इज्जत होती है।
दीपक :-
दीपक अंधेरे को मिटाता है किन्तु कालिमा को जन्म देता है। इसी तरह इंसान जो भी खाता-पीता है। उसकी सन्तान रहन-सहन से उसका पता चल जाता है। वंश का प्रभाव औलाद पर अवश्य पड़ता है।
सबसे भयंकर :-
शांति से बड़ा कोई तप नहीं होता, क्योंकि गुस्से में इंसान अपना सब कुछ भूलकर पागल सा हो जाता है। यहां तक कि वह इसी बोझ के कारण मृत्यु की गोद में चला जाता है।
गुण :-
सुन्दरता की शोभा केवल गुणों से होती है यदि किसी प्राणी में गुण नहीं है तो वह बिल्कुल ही बेकार होता है। उसका यही हाल होता है जो बंजर धरती का होता है। बंजर धरती को हम इसलिए तो बेकार कहते हैं कि उसमें कोई फसल पैदा नहीं होती।
गुणवान :-
- असन्तुष्ट रहने वाला पंडित कभी गुणवान नहीं होता। क्योंकि उसके पूजने वाले सन्तोष न होने के कारण उससे नफरत करने लगते हैं।
- सन्तोष से काम लेने वाला राजा।
- जो भी राजा सन्तोष से काम लेता है, यानी धैर्य से बैठ जाए। उससे राज्य का कभी विस्तार नहीं होता।
- शर्माने वाली वैश्या को कभी गुणवान नहीं माना जाता।
- बेशर्म पत्नी को कभी गुणवान नहीं माना जाता। क्योंकि शर्म का दूसरा नाम ही तो औरत होता है।
शिक्षा की विशेषता :-
- विद्वान की हर स्थान पर पूजा होती है।
- शिक्षक कोई भी हो उसका हर स्थान पर सम्मान होता है।
- अनपढ़ भले ही कितना धनवान क्यों न हो। पढ़े लिखे आदमी के सामने वह छोटा ही नजर आएगा। पढ़ा लिखा आदमी किसी भी देश में चला जाए उसका सम्मान अवश्य होता है।
- शिक्षा की विशेषता, जवानी, सुन्दरता कुल से भी अधिक होती है। यही प्राणी का सबसे बड़ा साथी है।
गुरू मन्त्र :-
बांबी के अन्दर जैसे सांप मर जाता है। इसी तरह अपने भेद हर एक को देने वाले का भी एक दिन नाश हो जाता है,इसलिए यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो अपने मन का भेद किसी को मत दो। यह सबसे बड़ा गुरू मंत्र है।
विद्वान :-
आकाश पर न तो कोई दूत जा सकता है। न ही वहां पर सीधी बातचीत की जा सकती है। किन्तु विद्वानों ने हजारों मील की ऊंचाई पर से बस इस आकाश के चांद सितारों के साथ हिसाब लगा लिया। उन्हें आप विद्या और बुद्धि की शक्ति ही कहेंगे।
क्या करना उचित है :-
विद्यार्थी, नौकर, भूखा आदमी, खजांची, चौकीदार, बुद्धिमान, यदि हम लोग सो रहें हों तो इन्हें जगा देना उचित होगा। क्यों
विद्यार्थी अगर सोया रहेगा, तो उसकी पढ़ाई नहीं होगी, नौकर सोएगा तो मालिक उसे काम से निकाल देगा।
भूखा यदि सोया रहेगा तो रोटी की तलाश कौन करेगा।
खजांची सोए तो खजाने की रक्षा कौन करेगा।
विद्वान सोएगा तो उसका कार्य कौन करेगा।
मर्यादा :-
धन के लोभ में वेद पढ़ाने वाला, नीच जाति का भोजन खाने वाला ब्राह्मण, बिना जहर के सांप जैसे होते है। जिसका कोई भी हर लोगों को नहीं होता। इसलिए हर प्राणी को अपनी मर्यादा के अनुसार ही काम करना चाहिए।
चिकना घड़ा :-
जिन लोगों के क्रोध सहने पर हर पैदा होता है। जिसके खुश होने पर धन नहीं मिलता। जो न तो कोई सजा दे सकता। न ही किसी की भलाई कर सकता है। ऐसे लोगों को चिकना घड़ा कहा जा सकता है।
दिखावा :-
इस संसार में दिखावे के बिना सब कुछ व्यर्थ है। यदि सांप में जहर न हो तो उसे फुंकार-फुंकार कर ही अपना डर बनाए रखना चाहिए। उसका यह दिखावा ही उसका भ्रम बनाए रखेगा।
कर्म :-
कवि क्या नहीं देखता। औरत क्या नहीं कर सकती। शराबी क्या नहीं बक सकता। कौआ क्या नहीं खा सकता। इसलिए कहा गया है, जैसा जिसका कर्म है, वैसा ही उसे करने दो।
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